સોમવાર, 1 ડિસેમ્બર, 2014

Jay bolo bhai Jay

बीवी चालीसा बीवी सेवा सच्ची सेवा ! जो करे वो खाये मेवा !! जो बीवी के पाँव दबावै ! बस वैकुंठ परम पद पावै !! जो बीवी की करे गुलामी ! ना आये कोई परेशानी !! जो बीवी की धोवे साड़ी ! उसकी किस्मत जग से न्यारी !! भूत पिशाच निकट नहिं आवै ! जो बीवी के कीर्तन गावै !! हाथ जोड़ कर कीजिये पत्नी जी का ध्यान घर में खुशहाली रहे हो जाये कल्यान घरवाली को नमन कर माला लेकर हाथ  मुख से पत्नी-वन्दना बोलो मेरे साथ जय पत्नी देवी कल्यानी ! माया तेरी ना पहचानी !! तुमसे सारे देवता हारे ! डर से थर-थर कांपें सारे !! नहिं चरित्र तुम्हरा कोई जाना ! नर क्या ईश्वर ना पहचाना !! अपरम्पार तुम्हारी माया ! कोई इसका पार न पाया !! लगो देखने में तुम गुड़िया ! हो लेकिन आफत की पुड़िया !! हे मेरे बच्चों की माता ! तुम हो मेरी भाग्यविधाता !! है बेलन हथियार तुम्हारा ! जब चाहा सिर पर दे मारा !! ऐसी तेरी निकले बोली ! जैसे हो बंदूक की गोली !! हम तुमसे डरते हैं ऐसे ! चोर पुलिस से डरता जैसे !! ऐसा है आतंक तुम्हारा ! बिच्छू जैसा डंक तुम्हारा !! करे पति जो पत्नी-सेवा ! मिलती उसको सच्ची मेवा !! पत्नी-वन्दना जो कोई गावे ! जीवन में कोई कष्ट न पावे !! प्रभु दीक्षित कर पत्नी-वन्दन पत्नी का कर लो अभिनन्दन !! वन्दहु पत्नी मुख-कमल गुण-अवगुण की खान ! मिले नहीं बिन आपके, पतियों को सम्मान !! !बोलो पत्नी रानी की जय!

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